अमेरिका में ग्रीन कार्ड हासिल कर लेना भारतीय पेशेवरों के लिए आज भी आसान नहीं है। अब अमेरिकी सरकार के आंकड़ों के हवाले से एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 10 लाख से अधिक भारतीय रोजगार-आधारित आव्रजन बैकलॉग में इंतजार कर रहे हैं। रिपोर्ट का यह भी दावा है कि यह बैकलॉग अमेरिकी आव्रजन प्रणाली में समस्याओं को उजागर करता है।
फोर्ब्स ने अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (USCIS) डेटा का हवाला देते हुए बताया कि भारत के कई उच्च कुशल पेशेवरों को प्रति-देश सीमा और कम वार्षिक कोटा के कारण स्थायी निवास (ग्रीन कार्ड) हासिल करने के लिए बरसों तक इंतजार करना पड़ता है।
फोर्ब्स ने USCIS डेटा के नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी (NFAP) विश्लेषण का हवाला देते हुए बताया कि आश्रितों सहित 12 लाख से अधिक भारतीय रोजगार-आधारित पहली, दूसरी और तीसरी ग्रीन कार्ड श्रेणियों में प्रतीक्षा कर रहे हैं। डेटा 2 नवंबर, 2023 तक स्वीकृत I-140 आप्रवासी याचिकाओं को दर्शाता है।
फोर्ब्स के अनुसार अमेरिकी कानून के दो हिस्सों ने रोजगार-आधारित अप्रवासियों के लिए ग्रीन कार्ड का इंतजार बढ़ाया है। 1990 में कांग्रेस ने रोजगार-आधारित ग्रीन कार्ड के लिए आश्रितों सहित 140,000 की वार्षिक सीमा निर्धारित की थी लेकिन यह सीमा आज के हिसाब से नाकाफी है क्योंकि हाल के दशकों में इंटरनेट, स्मार्टफोन, एआई, ई-कॉमर्स और नवाचार के अन्य तकनीकी प्लेटफॉर्म्स के चलते प्रतिभाओं की मांग में वृद्धि हुई है।
इसके साथ ही कानून बनाने वालों ने प्रति-देश 7% की सीमा बरकरार रखी है। प्रति-देश सीमा ने बड़ी आबादी के कारण भारत, चीन और फिलीपींस के उच्च कुशल पेशेवरों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया है।
इसी कानून के प्रभाव का खामियाजा भारतीयों को भुगतना पड़ा है। प्रति-देश सीमा के कारण वित्त वर्ष 2015 में केवल 7,820 भारतीय अप्रवासियों को (रोजगार श्रेणी-2) दूसरी श्रेणी में रोजगार-आधारित ग्रीन कार्ड प्राप्त हुए। यब तब है जब नियोक्ताओं ने अन्य देशों के व्यक्तियों की तुलना में वर्षों पहले भारतीयों के लिए हजारों ग्रीन कार्ड आवेदन जमा किए थे।
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