क्या आपने कभी सोचा है कि 100 डॉलर की राशि किसी व्यक्ति और उसके परिवार का जीवन हमेशा के लिए कैसे बदल सकती है? आज इस लेख में मैं आपके साथ लोगों के जीवन में बदलाव के अपने कुछ अनुभव साझा करता हू।
VOSAP (वॉयस ऑफ स्पशियली एबल्ड पीपल) में हम किसी व्यक्ति की 'क्षमताओं' पर ध्यान केंद्रित करते हैं और मूल रूप से इस बात पर दृढ़ता से विश्वास करते हैं कि एक मौका, समर्थन और सही सहायक उपकरण दिए जाने पर एक विशेष रूप से सक्षम व्यक्ति अपनी शारीरिक सीमाओं को पार कर सकता है या अपने और अपने परिवार के बेहतर जीवन की खातिर खुद को बेहतर तरीके से प्रबंधित कर सकता है। एक ऐसी दुनिया में जहां विशेष रूप से सक्षम लोगों के लिए अवसर दुर्लभ हैं VOSAP हजारों लोगों को गरीबी की छाया से मुक्त करने और सम्मान का जीवन अपनाने का मौका देने के लिए समर्पित है। हमने हजारों लोगों को गरीबी की गिरफ्त से बाहर निकलते, अपने समुदाय का स्तंभ बनते और भारत की आर्थिक महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ाते देखा है। दिव्यांगजनों के लिए VOSAP दृष्टिकोण 2047 के हिस्से के रूप में हमारा लक्ष्य भारत की विशेष रूप से सक्षम आबादी के 15 फीसदी हिस्से को देश की आर्थिक वृद्धि में सक्रिय रूप से योगदान करने के लिए सशक्त बनाना है ताकि अंततः विकसित भारत में 2047 तक विकलांगता क्षेत्र में 1 ट्रिलियन डॉलर का योगदान प्राप्त हो सके। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए VOSAP विशेष रूप से सक्षम लोगों को सहायक उपकरणों और स्व-रोजगार किटों के साथ सक्षम बना रहा है। इससे वे कार्यात्मक रूप से सक्रिय योगदानकर्ता बन रहे हैं।
हमारा अनुभव बताता है कि ट्राइसाइकिल और मोटर चालित सिलाई मशीन जैसे पारंपरिक सहायक उपकरण केवल गतिशीलता या उत्पादकता के उपकरण नहीं हैं बल्कि वे आर्थिक सशक्तीकरण के उत्प्रेरक हैं और विभिन्न क्षेत्रों में जीवन में बदलाव ला रहे हैं। यहां हम कई लाभार्थियों की कहानिययां साझा करेंगे जिन्हे ब्यूटी पार्लर किट, इलेक्ट्रिकल किट, मसाज किट आदि प्रदान करके VOSAP ने उनके जीवन में प्रामाणिक रूप से हस्तक्षेप किया है और बड़े बदलाव का सबब बना है।
आश्चर्य होता है कि इस तरह की सहायता पाकर हमारे लाभार्थियों ने न केवल प्रस्तुत अवसरों को स्वीकार किया है बल्कि वे समुदाय में मोची, फूल विक्रेता, अगरबत्ती व्यापारी, बिजली मरम्मत की दुकान के मालिक और यहां तक कि लहसुन विक्रेता बनकर फले-फूले हैं। VOSAP द्वारा दान की गई केवल 100 डॉलर की सामग्री के माध्यम से हमने न केवल स्वतंत्रता प्रदान की है, बल्कि जिम्मेदारी की भावना भी पैदा की है। व्यक्तियों को अपने और अपने परिवार की मदद के लिए सशक्त बनाया है। यही नहीं उन्होंने औसतन 8,000 (100 डॉलर) रुपये मासिक कमाकर देश की अर्थव्यवस्था में योगदान दिया है।
विनोद भाई को एक शिविर में VOSAP की ओर से ट्राईसाइकिल मिली। इससे उन्हें गतिशीलता प्राप्त हुई और उन्होंने टायर मरम्मत और पंचर की दुकान का व्यवसाय शुरू किया। वह वहां आसानी से आवागमन कर सकते हैं। अब वह हाईवे पर ट्रकों के टायर आदि की मरम्मत करने की एक बड़ी दुकान स्थापित करने और लोगों को रोजगार देकर तथा ऋण लेकर उद्यमी बनना चाहते हैं।
बालकृष्ण जे अरुंडेकर चलने-फिरने में अक्षम हैं। वह अब कर्नाटक के बेलगावी शहर में सड़क किनारे जूते की दुकान चलाते हैं। इससे वह प्रतिदिन लगभग 400 से 500 रुपये (12,000-15000 मासिक, (140-150डॉलर) कमाते हैं। घर से दुकान तक आना-जाना और वापस आना उनके लिए एक चुनौतीपूर्ण काम था। मगर VOSAP की मदद से उन्हें गतिशीलता मिली।
जोधपुर की पिंटू देवी को अपनी 70 फीसदी चलने-फिरने की विकलांगता के कारण महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उसकी वित्तीय बाधाएं प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने की उसकी आकांक्षाओं में बाधा बन रही थीं। उनके जीवन में तब सकारात्मक मोड़ आया जब VOSAP ने पिंटू को एक स्व-रोजगार ब्यूटी पार्लर किट प्रदान की। पिंटू ने अपने कौशल को आय के स्रोत में बदल दिया और सीजन के दौरान 10,000-12,000 रुपये कमाए। इस आय ने उन्हें अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करने में सक्षम बनाया और साथ ही उन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा (भारत सरकार की सबसे प्रतिस्पर्धी और सम्मानित परीक्षा) में उत्तीर्ण होने के अपने सपने को पूरा करने के लिए वित्तीय साधन भी प्रदान किए।
चेतन, अपनी पत्नी और बेटी के साथ जोधपुर में रहते हैं। उनके सपने शारीरिक सीमाओं से बंधे थे। 5000-7000 रुपये प्रति माह की मामूली आय के साथ उनके दिन एक दर्जी की दुकान पर कटते थे। VOSAP की ओर से दी गई सिलाई मशीन से चेतन की आय में वृद्धि हुई। उनकी आया प्रति माह 10,000 से 15,000 रुपये (100-115 डॉलर) तक जा पहुंची।
तो इस तरह से VOSAP की पहल आर्थिक परिणामों, वित्तीय स्वतंत्रता और गरिमा का उपयोग करते हुए विकलांगता के विचार को फिर से परिभाषित करती है। ये परिवर्तन केवल संख्याओं के बारे में नहीं हैं। वे गरिमा की बहाली और अपने और अपने परिवार का भरण-पोषण करने की क्षमता का प्रतीक हैं।
आज ही VOSAP के साथ एक जीवन को बदलने के लिए आगे आइये... आप www.voiceofsap.org/donation पर दान कर सकते हैं।
VOSAP दिव्यांगता के क्षेत्र में काम करने वाला एक संगठन है। वह दिव्यांगों को मुफ्त में सहायक उपकरण भी प्रदान करता है। संगठन को यूएन की इकनोमिक एंड सोशल काउंसिल की तरफ से स्पेशल कंसलटेटिव स्टेटस प्राप्त है। संगठन के संस्थापक प्रणव देसाई खुद पोलियो सर्वाइवर हैं। प्रणव एक कामयाब आईटी बिजनेस लीडर, सेल्स लीडर और नॉर्थ अमेरिका में एनटीटी डाटा के वाइस प्रेसिडेंट भी हैं।
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