कुछ पत्रिकाओं में छपने के अलावा लिखने के क्रम में चार किंडल बुक्स प्रकासित की है। खट्टी-मीठी नाम से ब्लॉग लिखा करती हूँ जो अब नियमित नहीं है। इधर कुछ वर्षों से फ़ेसबुक की दुनिया ज़्यादा वृहत हुई। टेक्नोलॉजी और भाषा के मेल से हिन्दी को इसने और विस्तार दिया है।